1.2 करोड़ सरकारी कर्मचारियों की मौज, सैलरी बढ़ोतरी के साथ 15 लाख की सौगात 8th Pay Commission

By Meera Sharma

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8th Pay Commission

8th Pay Commission: देश के 1.2 करोड़ सरकारी कर्मचारियों के लिए आठवां वेतन आयोग केवल वेतन वृद्धि का मामला नहीं रह गया है बल्कि यह उनके कल्याण के व्यापक पहलुओं को छूने वाला है। हाल की मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार आगामी आठवें वेतन आयोग में कर्मचारियों को वेतन बढ़ोतरी के साथ-साथ बीमा कवर में भी महत्वपूर्ण वृद्धि मिल सकती है। यह निर्णय न केवल कर्मचारियों की आर्थिक स्थिति में सुधार लाएगा बल्कि उनके परिवारों की सुरक्षा भी बढ़ाएगा।

वर्तमान समय में जब महंगाई दर लगातार बढ़ रही है और जीवन यापन की लागत में निरंतर वृद्धि हो रही है, केंद्र सरकार का यह कदम अत्यंत सराहनीय है। कर्मचारियों के लिए यह दोहरी खुशी की बात है क्योंकि उन्हें न केवल अधिक वेतन मिलेगा बल्कि बेहतर बीमा सुरक्षा भी प्राप्त होगी। यह निर्णय सरकारी कर्मचारियों के जीवन स्तर में गुणात्मक सुधार लाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

वर्तमान बीमा कवर की अपर्याप्तता

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केंद्रीय सरकारी कर्मचारी समूह बीमा योजना के तहत वर्तमान में मिलने वाली बीमा राशि आज के समय में काफी अपर्याप्त है। ग्रुप A कर्मचारियों को अधिकतम 1,20,000 रुपये का बीमा कवर मिलता है जबकि निचले स्तर के कर्मचारियों को इससे भी कम राशि प्राप्त होती है। ग्रुप B, C और D के कर्मचारियों के लिए यह राशि क्रमशः कम होती जाती है, जो आज की महंगाई के दौर में बिल्कुल भी पर्याप्त नहीं है।

यदि किसी कर्मचारी की ड्यूटी के दौरान दुर्भाग्यवश मृत्यु हो जाती है तो उसके परिवार को मिलने वाली यह राशि उनके भविष्य की आर्थिक सुरक्षा के लिए नाकाफी है। आज के समय में जब एक सामान्य जीवन बीमा पॉलिसी भी 5-10 लाख रुपये की होती है, तो सरकारी कर्मचारियों को मिलने वाली 1.2 लाख रुपये की राशि वास्तव में बहुत कम लगती है। इसी कमी को देखते हुए सरकार बीमा कवर बढ़ाने पर विचार कर रही है।

CGEGIS योजना का इतिहास और विकास

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केंद्रीय सरकारी कर्मचारी समूह बीमा योजना 1 जनवरी 1982 को शुरू की गई थी जिसका मुख्य उद्देश्य कर्मचारियों को बीमा कवर और सेवानिवृत्ति के बाद लाभ प्रदान करना था। इस योजना की शुरुआत में बीमा कवर की राशि आज के मुकाबले बहुत कम थी लेकिन उस समय की आर्थिक परिस्थितियों के अनुसार यह उचित थी। ग्रुप A के कर्मचारियों को 80 रुपये मासिक अंशदान पर 80 हजार रुपये का बीमा कवर मिलता था।

योजना की शुरुआत में ग्रुप B के कर्मचारियों को 40 रुपये मासिक अंशदान पर 40 हजार रुपये, ग्रुप C के कर्मचारियों को 20 रुपये मासिक अंशदान पर 20 हजार रुपये और ग्रुप D के कर्मचारियों को 10 रुपये मासिक अंशदान पर 10 हजार रुपये का बीमा कवर प्राप्त होता था। उस समय यह राशि कर्मचारियों के वेतन और जीवन स्तर के अनुपात में उचित थी लेकिन समय के साथ इसमें संशोधन की आवश्यकता महसूस की गई।

1990 के संशोधन और उसके प्रभाव

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1990 में CGEGIS योजना में पहला महत्वपूर्ण संशोधन किया गया जिसके तहत बीमा कवर की राशि में वृद्धि की गई। इस संशोधन के बाद ग्रुप A के कर्मचारियों का मासिक अंशदान 80 रुपये से बढ़ाकर 120 रुपये कर दिया गया और बीमा कवर की राशि 80 हजार से बढ़ाकर 1,20,000 रुपये कर दी गई। यह उस समय के लिए एक महत्वपूर्ण वृद्धि थी जिससे कर्मचारियों के परिवारों को बेहतर सुरक्षा मिली।

ग्रुप B के कर्मचारियों के लिए मासिक अंशदान 40 रुपये से बढ़ाकर 60 रुपये कर दिया गया और बीमा कवर 40 हजार से बढ़ाकर 60 हजार रुपये किया गया। ग्रुप C के कर्मचारियों के लिए मासिक अंशदान 20 रुपये से बढ़ाकर 30 रुपये किया गया और बीमा कवर 20 हजार से बढ़ाकर 30 हजार रुपये कर दिया गया। यह संशोधन उस समय की आर्थिक परिस्थितियों और महंगाई दर को देखते हुए किया गया था।

आठवें वेतन आयोग में प्रस्तावित बदलाव

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मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार आठवें वेतन आयोग के तहत केंद्र सरकार CGEGIS योजना को पूरी तरह से नया रूप देने पर विचार कर रही है। वर्तमान महंगाई दर और बदलती जीवनशैली को देखते हुए बीमा कवर को 10 लाख रुपये से बढ़ाकर 15 लाख रुपये तक करने का प्रस्ताव है। यह वृद्धि कर्मचारियों और उनके परिवारों के लिए एक बड़ी राहत होगी क्योंकि आज के समय में 15 लाख रुपये की राशि एक परिवार के लिए कम से कम आपातकालीन स्थिति में सहायक हो सकती है।

हालांकि इस बढ़े हुए बीमा कवर के लिए मासिक अंशदान में भी वृद्धि होने की संभावना है लेकिन यह वृद्धि कर्मचारियों के बढ़े हुए वेतन के अनुपात में उचित होगी। सरकार का उद्देश्य यह है कि कर्मचारियों को बेहतर सुरक्षा मिले और साथ ही यह योजना आर्थिक रूप से स्थायी भी रहे। इस प्रकार का संतुलन बनाना सरकार के लिए एक चुनौती है लेकिन कर्मचारियों के कल्याण के लिए यह आवश्यक है।

सातवें वेतन आयोग की सिफारिशें और उनका परिणाम

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सातवें वेतन आयोग ने केंद्रीय कर्मचारियों के लिए बीमा कवर बढ़ाने की महत्वपूर्ण सिफारिशें की थीं जिनमें 50 लाख, 25 लाख और 15 लाख रुपये के बीमा कवर के विकल्प शामिल थे। इन विकल्पों के लिए मासिक अंशदान क्रमशः 5,000, 2,500 और 1,500 रुपये सुझाया गया था। हालांकि यह प्रस्ताव कागज पर बहुत आकर्षक लगता था लेकिन व्यावहारिक रूप से इसमें कुछ समस्याएं थीं।

कर्मचारियों ने इस प्रस्ताव को स्वीकार नहीं किया क्योंकि उन्हें लगा कि मासिक अंशदान बहुत अधिक है। विशेषकर निचले स्तर के कर्मचारियों के लिए 1,500 रुपये मासिक अंशदान भी एक बड़ी राशि थी। इसके अलावा कर्मचारियों का यह भी मानना था कि सरकार को अधिक अंशदान के बजाय योजना में अपना योगदान बढ़ाना चाहिए। इस विरोध के कारण सातवें वेतन आयोग की यह सिफारिश लागू नहीं हो सकी।

भविष्य की संभावनाएं और कर्मचारियों की उम्मीदें

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आठवें वेतन आयोग से कर्मचारियों की उम्मीदें काफी अधिक हैं क्योंकि यह न केवल उनके वेतन में वृद्धि लाएगा बल्कि उनकी सामाजिक सुरक्षा भी बढ़ाएगा। 15 लाख रुपये का बीमा कवर आज के समय में एक उचित राशि है जो किसी भी आपातकालीन स्थिति में परिवार को आर्थिक सहायता प्रदान कर सकती है। कर्मचारी संगठन इस बात पर जोर दे रहे हैं कि मासिक अंशदान में वृद्धि न्यूनतम हो और सरकार अपने हिस्से का योगदान बढ़ाए।

सरकार के लिए यह एक संतुलन का मामला है क्योंकि उसे कर्मचारियों के कल्याण और राजकोषीय अनुशासन दोनों को देखना होता है। हालांकि प्रारंभिक संकेत सकारात्मक हैं और उम्मीद है कि आठवां वेतन आयोग कर्मचारियों के लिए एक समग्र कल्याणकारी पैकेज लेकर आएगा। इससे न केवल कर्मचारियों का मनोबल बढ़ेगा बल्कि सरकारी सेवा की आकर्षण भी बढ़ेगी जो प्रतिभाशाली युवाओं को सरकारी क्षेत्र में आने के लिए प्रेरित करेगी।

Disclaimer

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इस लेख में दी गई जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स और अनुमानों पर आधारित है। आठवें वेतन आयोग का अभी तक औपचारिक गठन नहीं हुआ है और इसकी नीतियों की आधिकारिक घोषणा नहीं हुई है। बीमा कवर की राशि और मासिक अंशदान में बदलाव केंद्र सरकार के विवेकाधिकार में है। किसी भी आधिकारिक जानकारी के लिए संबंधित सरकारी विभाग की आधिकारिक घोषणा का इंतजार करें। अलग-अलग ग्रेड के कर्मचारियों के लिए बीमा राशि और अंशदान अलग हो सकता है।

Meera Sharma

Meera Sharma is a talented writer and editor at a top news portal, shining with her concise takes on government schemes, news, tech, and automobiles. Her engaging style and sharp insights make her a beloved voice in journalism.

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