EMI Bounce Rules: आज के समय में अपना घर खरीदना हर व्यक्ति का सपना होता है लेकिन बढ़ती कीमतों के कारण यह सपना पूरा करना आसान नहीं है। इसीलिए अधिकतर लोग होम लोन का सहारा लेकर अपने सपनों का घर खरीदते हैं। बैंक से होम लोन लेना एक लंबी प्रक्रिया है जिसमें कई दस्तावेज और औपचारिकताएं पूरी करनी पड़ती हैं। लेकिन लोन मिल जाने के बाद असली चुनौती शुरू होती है जब हर महीने नियमित रूप से ईएमआई भरनी पड़ती है। कई बार आर्थिक तंगी या अन्य कारणों से लोग समय पर ईएमआई नहीं भर पाते और इसके गंभीर परिणाम भुगतने पड़ते हैं।
होम लोन लेना केवल पैसा मिलना नहीं है बल्कि यह एक जिम्मेदारी है जो कई सालों तक चलती है। इसलिए होम लोन लेने से पहले इसके सभी नियम कानून और परिणामों को समझना जरूरी है। यदि आप होम लोन के नियमों से अनजान हैं तो यह जानकारी आपके लिए बेहद उपयोगी साबित हो सकती है।
ईएमआई बाउंस होने पर बैंक की चरणबद्ध कार्रवाई
जब किसी व्यक्ति की होम लोन की पहली ईएमआई बाउंस हो जाती है तो बैंक तुरंत कोई सख्त कदम नहीं उठाता। बैंक यह मानकर चलता है कि यह किसी तकनीकी समस्या या अस्थायी वित्तीय कठिनाई के कारण हुआ हो सकता है। इसलिए पहली ईएमआई बाउंस होने पर बैंक धैर्य रखता है और ग्राहक को दूसरा मौका देता है। हालांकि इस दौरान बैंक आपसे संपर्क जरूर करता है और ईएमआई बाउंस होने का कारण जानने की कोशिश करता है।
लेकिन जब लगातार दो ईएमआई बाउंस हो जाती हैं तो बैंक गंभीर हो जाता है और ग्राहक को रिमाइंडर भेजना शुरू कर देता है। ये रिमाइंडर फोन कॉल, एसएमएस या ईमेल के रूप में हो सकते हैं। इस स्तर पर बैंक ग्राहक से बात करके समस्या का समाधान निकालने की कोशिश करता है। यदि ग्राहक अपनी वित्तीय कठिनाई के बारे में बैंक को बताता है तो बैंक कुछ वैकल्पिक समाधान भी सुझा सकता है।
लीगल नोटिस और डिफॉल्टर की स्थिति
तीसरी ईएमआई भी बाउंस होने पर स्थिति गंभीर हो जाती है और बैंक लीगल नोटिस भेजने की प्रक्रिया शुरू कर देता है। यह नोटिस एक औपचारिक चेतावनी होती है जिसमें ग्राहक को तुरंत लोन का भुगतान करने के लिए कहा जाता है। इस नोटिस में यह भी स्पष्ट किया जाता है कि यदि निर्धारित समय सीमा के अंदर भुगतान नहीं किया गया तो बैंक कानूनी कार्रवाई करने के लिए बाध्य होगा। यह नोटिस रजिस्टर्ड पोस्ट के माध्यम से भेजा जाता है ताकि इसका कानूनी सबूत मौजूद रहे।
चौथी और पांचवीं ईएमआई भी नहीं भरने पर बैंक ग्राहक को आधिकारिक रूप से डिफॉल्टर घोषित कर देता है। डिफॉल्टर घोषित होने का मतलब है कि अब ग्राहक ने अपनी लोन चुकाने की जिम्मेदारी में चूक की है और बैंक के पास कड़ी कार्रवाई करने का अधिकार है। इस स्थिति में पहुंचने के बाद ग्राहक की स्थिति काफी कमजोर हो जाती है और बैंक के पास कई विकल्प आ जाते हैं।
क्रेडिट स्कोर पर पड़ने वाले दुष्प्रभाव
होम लोन की ईएमआई न भरने का सबसे तत्काल और गंभीर परिणाम ग्राहक के क्रेडिट स्कोर पर पड़ता है। CIBIL स्कोर में गिरावट आते ही ग्राहक की वित्तीय विश्वसनीयता पर सवाल खड़े हो जाते हैं। एक बार क्रेडिट स्कोर खराब हो जाने पर भविष्य में किसी भी बैंक से लोन लेना मुश्किल हो जाता है। यदि कहीं से लोन मिलता भी है तो उसकी ब्याज दरें सामान्य से काफी अधिक होती हैं क्योंकि बैंक ऐसे ग्राहकों को हाई रिस्क कैटेगरी में रखते हैं।
क्रेडिट स्कोर का प्रभाव केवल होम लोन तक सीमित नहीं रहता बल्कि यह क्रेडिट कार्ड, पर्सनल लोन, कार लोन और अन्य सभी प्रकार के वित्तीय उत्पादों को प्रभावित करता है। खराब क्रेडिट स्कोर के साथ जीना एक लंबी और कष्टकारी प्रक्रिया है क्योंकि इसे सुधारने में कई साल लग सकते हैं। इसलिए हमेशा समय पर ईएमआई और क्रेडिट कार्ड के बिल का भुगतान करके अपने क्रेडिट स्कोर को अच्छा बनाए रखना चाहिए।
संपत्ति की गिरवी और नीलामी की प्रक्रिया
होम लोन एक सिक्योर्ड लोन होता है जिसका मतलब यह है कि इसके बदले में ग्राहक की संपत्ति गारंटी के रूप में रखी जाती है। लोन लेते समय ही ग्राहक को अपनी प्रॉपर्टी के सभी कागजात बैंक के पास जमा करने पड़ते हैं। यह प्रॉपर्टी तब तक बैंक के पास गिरवी रहती है जब तक पूरा लोन चुकता नहीं हो जाता। इसका मतलब यह है कि ग्राहक बिना बैंक की अनुमति के इस प्रॉपर्टी को बेच नहीं सकता। यह व्यवस्था बैंक की सुरक्षा के लिए बनाई गई है ताकि लोन न चुकाने की स्थिति में बैंक अपने पैसे वसूल कर सके।
जब ग्राहक लगातार ईएमआई नहीं भरता और डिफॉल्टर घोषित हो जाता है तो बैंक के पास यह अधिकार होता है कि वह गिरवी रखी संपत्ति को बेचकर अपना पैसा वसूल कर ले। यह प्रक्रिया SARFAESI Act के तहत की जाती है जो बैंकों को बिना कोर्ट की अनुमति के संपत्ति को जब्त करने और बेचने का अधिकार देता है। संपत्ति की नीलामी एक पारदर्शी प्रक्रिया के तहत की जाती है जिसमें सबसे अधिक बोली लगाने वाले को संपत्ति मिल जाती है।
नीलामी से पहले मिलने वाले अवसर
यह सोचना गलत है कि बैंक बिना किसी चेतावनी के तुरंत संपत्ति की नीलामी कर देता है। वास्तव में नीलामी से पहले बैंक ग्राहक को कई मौके देता है और विभिन्न चरणों में समस्या का समाधान निकालने की कोशिश करता है। पहले रिमाइंडर, फिर फोन कॉल, उसके बाद लीगल नोटिस और अंत में नीलामी की प्रक्रिया शुरू होती है। इस पूरी प्रक्रिया में कई महीने लग सकते हैं जिसके दौरान ग्राहक अपनी स्थिति सुधार सकता है।
यदि ग्राहक बैंक से संपर्क करके अपनी समस्या के बारे में बताता है तो बैंक कई वैकल्पिक समाधान भी सुझा सकता है। इनमें ईएमआई की राशि कम करना, लोन की अवधि बढ़ाना, कुछ समय के लिए केवल ब्याज का भुगतान करना या वन टाइम सेटलमेंट जैसे विकल्प शामिल हो सकते हैं। नीलामी के बाद यदि संपत्ति की कीमत लोन की राशि से अधिक आती है तो बचे हुए पैसे ग्राहक को वापस कर दिए जाते हैं।
बचाव के उपाय और सुझाव
होम लोन की ईएमआई न भर पाने की स्थिति से बचने के लिए कुछ महत्वपूर्ण उपाय अपनाने चाहिए। सबसे पहले लोन लेते समय अपनी वास्तविक आय के अनुसार ही ईएमआई तय करनी चाहिए। आपकी मासिक आय का 40 प्रतिशत से अधिक ईएमआई नहीं होनी चाहिए ताकि अन्य खर्चों के लिए भी पैसा बचे। आपातकाल के लिए हमेशा कुछ पैसा अलग से रखना चाहिए जो कम से कम 6 महीने की ईएमआई के बराबर हो।
यदि वित्तीय समस्या आ जाए तो तुरंत बैंक से संपर्क करना चाहिए और छुपाने की कोशिश नहीं करनी चाहिए। अधिकतर बैंक ऐसी स्थितियों में ग्राहकों की मदद करने के लिए तैयार रहते हैं बशर्ते कि ग्राहक पारदर्शी हो और समस्या को सुलझाने में सहयोग करे।
होम लोन लेना एक गंभीर वित्तीय निर्णय है जिसमें लंबी अवधि की जिम्मेदारी शामिल होती है। ईएमआई बाउंस होने पर बैंक की कार्रवाई एक क्रमबद्ध प्रक्रिया है जो रिमाइंडर से शुरू होकर संपत्ति की नीलामी तक जा सकती है। इसलिए होम लोन लेने से पहले अपनी वित्तीय क्षमता का सही आकलन करना और लोन लेने के बाद नियमित भुगतान करना जरूरी है। यदि कोई समस्या आती है तो बैंक से छुपाने के बजाय खुलकर बात करना और समाधान खोजना बेहतर होता है। याद रखें कि समय पर कार्रवाई और पारदर्शिता से अधिकतर समस्याओं का समाधान निकाला जा सकता है।
Disclaimer
यह लेख सामान्य जानकारी के उद्देश्य से लिखा गया है। होम लोन के नियम अलग-अलग बैंकों में भिन्न हो सकते हैं। किसी भी वित्तीय निर्णय से पहले संबंधित बैंक से विस्तृत जानकारी लें और वित्तीय सलाहकार से परामर्श करें।