Gold price down: सोने की कीमतों में हाल के दिनों में निरंतर वृद्धि देखी गई है और यह कीमती धातु अपने सर्वकालिक उच्चतम स्तर पर पहुंच गई है। 16 जून को एमसीएक्स पर अगस्त के फ्यूचर गोल्ड की कीमत ने एक लाख रुपये का महत्वपूर्ण स्तर पार करके एक लाख एक हजार 78 रुपये प्रति दस ग्राम का नया रिकॉर्ड बनाया। यह उपलब्धि भारतीय सोना बाजार के इतिहास में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। देशभर के सर्राफा बाजारों में जीएसटी सहित सोने की कीमतें एक लाख रुपये के ऊपर बनी हुई हैं।
इस रिकॉर्ड वृद्धि के पीछे कई अंतर्राष्ट्रीय और घरेलू कारक जिम्मेदार हैं। वैश्विक आर्थिक अनिश्चितता, मुद्रास्फीति की चिंताएं, और भू-राजनीतिक तनाव ने निवेशकों को सुरक्षित निवेश विकल्प के रूप में सोने की ओर आकर्षित किया है। हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि यह तेजी अब अपने चरम पर पहुंच गई है और आने वाले समय में सोने की कीमतों में गिरावट की प्रबल संभावना है। यह बदलाव निवेशकों और सोना खरीदारों के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकता है।
वैश्विक घटनाओं का घटता प्रभाव
सोने की कीमतों पर वैश्विक घटनाओं का प्रभाव पहले की तुलना में काफी कम हो गया है, जो इस बाजार में एक महत्वपूर्ण बदलाव का संकेत है। टैरिफ युद्ध के दौरान सोने की कीमतें ऊंचाई पर पहुंचने के बाद गिरना शुरू हो गई थीं, जो दर्शाता है कि बाजार में अस्थायी उछाल के बाद सामान्यीकरण की प्रवृत्ति होती है। हाल ही में इजराइल के ईरान पर हमले के बाद भी कीमतों में अचानक वृद्धि के बाद गिरावट शुरू हो गई है। यह पैटर्न इस बात का प्रमाण है कि भू-राजनीतिक तनाव का सोने पर दीर्घकालिक प्रभाव सीमित होता जा रहा है।
जब पारंपरिक कारक सोने की कीमतों को बढ़ाने में असमर्थ हो जाते हैं, तो स्वाभाविक रूप से कीमतों में गिरावट का दबाव बनता है। वर्तमान में सोने की कीमतों को और ऊपर ले जाने के लिए कोई मजबूत कारण दिखाई नहीं दे रहा। यह स्थिति संकेत देती है कि सोने का बाजार एक संतृप्ति बिंदु पर पहुंच गया है। निवेशकों की रुचि अब अन्य निवेश विकल्पों की ओर मुड़ रही है, जो सोने की मांग को प्रभावित कर रहा है।
शेयर बाजार की मजबूती का प्रभाव
भारत की बेहतर होती आर्थिक स्थितियों के कारण देश और विदेश के शेयर बाजार मजबूत हो रहे हैं। इस सकारात्मक रुझान के कारण निवेशक अपने पोर्टफोलियो में विविधता लाने की दिशा में सोच रहे हैं। जबकि वे सोने में कुछ हिस्सेदारी बनाए रख रहे हैं, साथ ही साथ वे अधिक लाभदायक अवसरों की तलाश में इक्विटी बाजार की ओर लौट रहे हैं। यह प्रवृत्ति सोने की मांग में कमी का कारण बन सकती है क्योंकि निवेशक जोखिम लेने के लिए तैयार हो रहे हैं।
सोने में भविष्य में बड़ी तेजी की संभावना काफी सीमित दिखाई दे रही है और डबल डिजिट रिटर्न की उम्मीद करना अवास्तविक लगता है। यह स्थिति निवेशकों को अन्य परिसंपत्ति वर्गों में निवेश करने के लिए प्रेरित कर रही है जहां बेहतर रिटर्न की संभावना है। शेयर बाजार में आने वाली तेजी और कॉर्पोरेट कमाई में सुधार के संकेत निवेशकों को आकर्षित कर रहे हैं। इससे सोने से पैसा निकालकर अन्य निवेश विकल्पों में लगाने की प्रवृत्ति बढ़ रही है।
सिटी रिसर्च की भविष्यवाणी और कीमत अनुमान
सिटी रिसर्च की एक व्यापक रिपोर्ट में सोने की कीमतों में आने वाली गिरावट की स्पष्ट भविष्यवाणी की गई है। इस प्रतिष्ठित अनुसंधान संस्थान के अनुसार अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अगली तिमाही में सोने की कीमत 3100 से 3300 डॉलर प्रति औंस के बीच रह सकती है। यदि यह अनुमान सही साबित होता है तो भारतीय मुद्रा के अनुसार सोने की कीमत लगभग 95 हजार रुपये के आसपास होगी। यह वर्तमान कीमतों से काफी कम है और खरीदारों के लिए राहत की बात हो सकती है।
और भी महत्वपूर्ण बात यह है कि अगले साल जून तक सोने की कीमतों में और भी अधिक गिरावट का अनुमान लगाया गया है। रिपोर्ट के अनुसार सोने की कीमत 2500 से 2700 डॉलर प्रति औंस तक आ सकती है, जिसका मतलब है कि भारतीय बाजार में सोने की कीमत 77 से 80 हजार रुपये के बीच हो सकती है। यह अनुमान दीर्घकालिक निवेशकों और खरीदारों के लिए महत्वपूर्ण नियोजन का आधार प्रदान करता है।
त्योहारी सीजन और मांगलिक कार्यों का प्रभाव
भारत में सोने की कीमतें केवल अंतर्राष्ट्रीय कारकों से ही प्रभावित नहीं होतीं बल्कि स्थानीय त्योहारों और मांगलिक कार्यों का भी गहरा प्रभाव होता है। विवाह-शादी के सीजन में सोने की मांग में काफी वृद्धि होती है जो कीमतों को ऊपर की ओर धकेलती है। हालांकि, 6 जुलाई को देवशयनी एकादशी के बाद एक महत्वपूर्ण बदलाव आने वाला है। इस तारीख के बाद हिंदू परंपरा के अनुसार मांगलिक कार्य रुक जाएंगे और यह स्थिति 1 नवंबर देवउत्थान एकादशी तक जारी रहेगी।
इस चार महीने की अवधि के दौरान देश में सोने की मांग में काफी कमी आने की संभावना है क्योंकि शादी-विवाह और अन्य मांगलिक कार्य नहीं होंगे। पारंपरिक रूप से इस अवधि में सोने और चांदी की खरीदारी में भारी गिरावट देखी जाती है। यह घरेलू कारक अंतर्राष्ट्रीय कारकों के साथ मिलकर सोने की कीमतों पर दोहरा दबाव बना सकता है। इस अवधि में सोने की कीमतों में महत्वपूर्ण गिरावट देखी जा सकती है।
निवेशकों के लिए रणनीति और सुझाव
वर्तमान परिस्थितियों को देखते हुए सोने के निवेशकों और खरीदारों के लिए यह एक महत्वपूर्ण समय है जब उन्हें अपनी रणनीति पर पुनर्विचार करना चाहिए। जो लोग सोना खरीदने की योजना बना रहे हैं, उनके लिए 6 जुलाई के बाद इंतजार करना फायदेमंद हो सकता है। वर्तमान में सोने की ऊंची कीमतों को देखते हुए तत्काल खरीदारी से बचना समझदारी होगी। जो निवेशक पहले से सोने में निवेशित हैं, वे अपने कुछ होल्डिंग्स को बेचने पर विचार कर सकते हैं।
हालांकि, यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि बाजार की भविष्यवाणियां हमेशा सटीक नहीं होतीं और अप्रत्याशित घटनाएं कीमतों को प्रभावित कर सकती हैं। इसलिए निवेशकों को अपने निवेश में संतुलन बनाए रखना चाहिए और केवल सोने पर निर्भर नहीं रहना चाहिए। विविधीकृत पोर्टफोलियो बनाना और विभिन्न परिसंपत्ति वर्गों में निवेश करना एक बेहतर रणनीति हो सकती है। सोने को पोर्टफोलियो का एक हिस्सा रखना समझदारी है लेकिन इसे पूर्ण निवेश रणनीति नहीं बनाना चाहिए।
Disclaimer
यह लेख सामान्य जानकारी और बाजार विश्लेषण के उद्देश्य से लिखा गया है और यह निवेश सलाह का विकल्प नहीं है। सोने की कीमतें बाजार की स्थितियों के अनुसार तेजी से बदल सकती हैं और भविष्यवाणियां हमेशा सटीक नहीं होतीं। निवेश या खरीदारी के निर्णय लेने से पहले योग्य वित्तीय सलाहकार से परामर्श लेना आवश्यक है।