Gold Rate: वर्तमान समय में सोने की कीमतें अपने सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंच गई हैं। पिछले कुछ महीनों में सोने के बाजार में जो उतार-चढ़ाव देखा गया है, वह निवेशकों और आम उपभोक्ताओं दोनों के लिए चिंता का विषय बना हुआ है। अप्रैल के अंत से मई के मध्य तक सोने में मंदी का दौर रहा, लेकिन उसके बाद जो तेजी आई है, उसने सभी पुराने रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं। आज सोना न केवल स्थानीय सर्राफा बाजार में बल्कि एमसीएक्स पर भी एक लाख रुपये के आंकड़े को पार कर गया है।
यह स्थिति केवल भारतीय बाजार तक सीमित नहीं है, बल्कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी सोने की मांग और कीमतों में भारी उछाल देखा जा रहा है। यह वृद्धि कई आर्थिक और राजनीतिक कारकों का परिणाम है जो वैश्विक बाजार को प्रभावित कर रहे हैं।
भू-राजनीतिक तनाव का प्रभाव
सोने की कीमतों में अचानक आई तेजी का मुख्य कारण अंतर्राष्ट्रीय राजनीतिक अस्थिरता है। विशेष रूप से मध्य पूर्व में इजराइल और ईरान के बीच बढ़ते तनाव ने वैश्विक बाजार में अनिश्चितता की स्थिति पैदा की है। ऐसी परिस्थितियों में निवेशक अपने धन को सुरक्षित स्थान पर रखना चाहते हैं, और सोना हमेशा से ही एक सुरक्षित निवेश का विकल्प माना जाता रहा है। इस कारण से सोने की मांग में तेजी आई और कीमतें आसमान छूने लगीं।
यह राजनीतिक अस्थिरता केवल एक क्षेत्र तक सीमित नहीं है, बल्कि विभिन्न देशों के बीच व्यापारिक युद्ध और टैरिफ की समस्याएं भी इसमें योगदान दे रही हैं। जब अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में बाधाएं आती हैं, तो निवेशक सोने जैसी कीमती धातुओं की ओर रुख करते हैं।
सोने की कीमतों को प्रभावित करने वाले कारक
सोना एक ऐसी कीमती धातु है जिसकी कीमतें कई आंतरिक और बाहरी कारकों से प्रभावित होती हैं। वैश्विक आर्थिक नीतियां, केंद्रीय बैंकों की मौद्रिक नीति, मुद्रास्फीति की दर, और डॉलर की मजबूती या कमजोरी जैसे कारक सोने की कीमतों पर सीधा प्रभाव डालते हैं। इसके अतिरिक्त स्थानीय कारक जैसे कि शादी-विवाह का मौसम, त्योहारी सीजन, और शुभ मुहूर्त भी भारतीय बाजार में सोने की मांग को बढ़ाते हैं।
निवेशकों की भावना भी सोने की कीमतों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। जब शेयर बाजार में अस्थिरता होती है या आर्थिक मंदी की आशंका बढ़ती है, तो लोग अपना पैसा सोने में लगाना पसंद करते हैं। यह प्रवृत्ति सोने की मांग बढ़ाती है और परिणामस्वरूप कीमतें भी बढ़ जाती हैं।
वर्तमान बाजार की स्थिति
जून के तीसरे सप्ताह में सोने की कीमतें रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गई हैं। 24 कैरेट सोना प्रति 10 ग्राम एक लाख रुपये के आंकड़े को पार कर गया है, जो इसके इतिहास में सबसे ऊंची कीमत है। 22 कैरेट सोना भी 92 हजार रुपये के आसपास चल रहा है, जबकि 18 कैरेट सोना 75 हजार रुपये के स्तर पर है। एमसीएक्स पर भी सोने की कीमतें 99 हजार रुपये के आसपास बनी हुई हैं।
यह वृद्धि एक दिन में नहीं हुई है, बल्कि पिछले कुछ महीनों का परिणाम है। साल की शुरुआत में जो सोना 76 हजार रुपये के आसपास था, वह अब एक लाख के पार पहुंच गया है। यह लगभग 35 प्रतिशत की वृद्धि है जो किसी भी निवेश के लिए काफी आकर्षक रिटर्न माना जाता है।
इस साल की असाधारण तेजी के कारण
2025 में सोने की कीमतों में आई तेजी के पीछे कई महत्वपूर्ण कारण हैं। मुख्य कारण अंतर्राष्ट्रीय व्यापारिक संघर्ष और टैरिफ युद्ध है। अमेरिका द्वारा अन्य देशों पर लगाए गए व्यापारिक प्रतिबंधों ने वैश्विक बाजार में अनिश्चितता पैदा की है। इस कारण से निवेशक अपने पैसे को सुरक्षित जगह रखना चाहते हैं और सोना इसके लिए सबसे उपयुक्त विकल्प माना जाता है।
केंद्रीय बैंकों की नीतियां भी सोने की कीमतों को प्रभावित कर रही हैं। जब ब्याज दरें कम होती हैं, तो लोग बैंक में पैसा रखने के बजाय सोने में निवेश करना पसंद करते हैं। वर्तमान में कई देशों में ब्याज दरें अपेक्षाकृत कम हैं, जिससे सोने की मांग बढ़ी है।
रिकॉर्ड तोड़ प्रदर्शन
सोने ने इस साल कई ऐतिहासिक रिकॉर्ड बनाए हैं। छह महीने के अंदर 35 प्रतिशत की वृद्धि किसी भी कीमती धातु के लिए असाधारण मानी जाती है। अप्रैल में जब सोना 99 हजार के आसपास था, तो मई में यह 90 हजार तक गिर गया था। लेकिन जून में फिर से तेजी आई और यह एक लाख के पार चला गया।
एमसीएक्स पर भी सोने का प्रदर्शन शानदार रहा है। यहां पर भी सोने ने अपने सभी पुराने रिकॉर्ड तोड़े हैं और नई ऊंचाइयों को छुआ है। यह स्थिति दर्शाती है कि सोने में निवेशकों का भरोसा कितना मजबूत है।
साल के अंत तक की संभावनाएं
विशेषज्ञों के अनुसार सोने की कीमतों का भविष्य मुख्यतः अंतर्राष्ट्रीय राजनीतिक स्थिति पर निर्भर करता है। यदि वर्तमान अस्थिरता बनी रहती है, तो साल के अंत तक सोने की कीमतें और भी बढ़ सकती हैं। कुछ अंतर्राष्ट्रीय विशेषज्ञों का मानना है कि सोना 1 लाख 38 हजार रुपये प्रति 10 ग्राम तक भी जा सकता है।
हालांकि, यदि राजनीतिक स्थिति में सुधार होता है और व्यापारिक संघर्ष कम होते हैं, तो सोने की कीमतें 56 हजार रुपये प्रति 10 ग्राम तक भी गिर सकती हैं। यह व्यापक रेंज दर्शाती है कि सोने का बाजार कितना अस्थिर और अनिश्चित है।
Disclaimer
यह लेख केवल सूचनात्मक उद्देश्य से लिखा गया है। सोने में निवेश से पहले बाजार की वर्तमान स्थिति की जांच करें और वित्तीय सलाहकार से परामर्श लें। सोने की कीमतें बाजार की परिस्थितियों के अनुसार घटती-बढ़ती रहती हैं।