होम लोन की इतनी EMI बाउंस होने पर बैंक लेता है एक्शन, जान लें नियम Home Loan EMI

By Meera Sharma

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Home Loan EMI

Home Loan EMI: आज के समय में लगातार बढ़ती महंगाई का प्रभाव न केवल दैनिक जीवन की आवश्यकताओं पर दिख रहा है बल्कि रियल एस्टेट की कीमतों पर भी इसका गहरा असर पड़ा है। इसका परिणाम यह हुआ है कि होम लोन लेने वाले लोगों के लिए मासिक किस्त का भुगतान करना पहले से कहीं अधिक चुनौतीपूर्ण हो गया है। कई परिवार ऐसी स्थिति में फंस गए हैं जहां वे अपनी मासिक आय के बड़े हिस्से को होम लोन की EMI में देने के बाद अन्य जरूरी खर्चों के लिए पर्याप्त पैसा नहीं बचा पा रहे। यह स्थिति विशेष रूप से उन लोगों के लिए गंभीर है जिन्होंने अपनी आय की तुलना में अधिक राशि का लोन लिया है।

महंगाई की मार से परेशान कई होम लोन धारक ऐसी परिस्थिति में आ जाते हैं जहां वे समय पर अपनी EMI का भुगतान नहीं कर पाते। कभी-कभार देरी से भुगतान करना तो समझ में आता है, लेकिन लगातार EMI चूकना एक गंभीर मामला बन जाता है। बैंक भी अपने नियमों के अनुसार कार्रवाई करने के लिए बाध्य होते हैं क्योंकि वे भी अपने निवेशकों और जमाकर्ताओं के प्रति जवाबदेह होते हैं। इसलिए हर होम लोन धारक के लिए यह जानना आवश्यक है कि EMI चूकने के क्या परिणाम हो सकते हैं और बैंक किस तरह से कार्रवाई करते हैं।

बैंक की चरणबद्ध कार्रवाई प्रक्रिया

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जब कोई ग्राहक अपनी होम लोन की पहली EMI चूकता है तो वह बैंक के रडार पर आ जाता है। यह पहला संकेत होता है कि ग्राहक को वित्तीय समस्या हो सकती है। हालांकि पहली बार EMI चूकने पर बैंक तुरंत कोई सख्त कार्रवाई नहीं करता लेकिन यह घटना ग्राहक के रिकॉर्ड में दर्ज हो जाती है। बैंक आमतौर पर समझता है कि कभी-कभार किसी के साथ ऐसी स्थिति हो सकती है और इसे एकल घटना मानकर चलता है। लेकिन यदि यह पैटर्न दोहराया जाता है तो गंभीर कार्रवाई की शुरुआत हो जाती है।

दूसरी EMI चूकने पर बैंक की ओर से ग्राहक को रिमाइंडर भेजे जाने शुरू हो जाते हैं। ये रिमाइंडर फोन कॉल, SMS, ईमेल या पत्र के रूप में हो सकते हैं। बैंक इस चरण में ग्राहक से संपर्क करके उसकी समस्या को समझने की कोशिश करता है और समाधान के विकल्प सुझाता है। यह अवस्था ग्राहक के लिए एक चेतावनी के रूप में काम करती है कि उसे तुरंत अपनी EMI का भुगतान करना चाहिए। तीसरी EMI चूकने पर स्थिति और भी गंभीर हो जाती है और बैंक कानूनी नोटिस भेजता है। इस नोटिस में बकाया राशि की मांग की जाती है और ग्राहक को आगाह किया जाता है कि समय पर भुगतान न करने पर कानूनी कार्रवाई की जा सकती है।

चौथी चूक और नीलामी की चेतावनी

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जब कोई ग्राहक लगातार चार EMI चूकता है तो बैंक की ओर से एक गंभीर कदम उठाया जाता है। इस स्तर पर बैंक संपत्ति की नीलामी की चेतावनी देता है। यह नोटिस बेहद महत्वपूर्ण होता है क्योंकि इसमें स्पष्ट रूप से लिखा होता है कि यदि निर्धारित समय सीमा के भीतर सारी बकाया राशि का भुगतान नहीं किया जाता तो संपत्ति को बेच दिया जाएगा। यह चेतावनी कानूनी तौर पर बाध्यकारी होती है और इसके बाद बैंक को नीलामी की प्रक्रिया शुरू करने का अधिकार मिल जाता है।

नीलामी की चेतावनी आमतौर पर 30 से 60 दिन का समय देती है जिसमें ग्राहक अपनी सारी बकाया राशि चुका सकता है। इस अवधि में ग्राहक को न केवल चूकी हुई EMI बल्कि उस पर लगे ब्याज, विलंब शुल्क और कानूनी खर्च भी चुकाना होता है। कई बार यह राशि मूल बकाया से काफी अधिक हो जाती है। यदि ग्राहक इस अवधि में भी भुगतान नहीं करता तो बैंक अगले चरण की तैयारी शुरू कर देता है। यह स्तर ग्राहक के लिए अंतिम मौका होता है जब वह अपनी संपत्ति को बचा सकता है।

पांचवीं चूक और संपत्ति की नीलामी

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पांचवें चरण में बैंक वास्तव में संपत्ति की नीलामी प्रक्रिया शुरू कर देता है। इसके लिए बैंक न्यायालय में सिविल मुकदमा दर्ज करता है और कानूनी प्रक्रिया के तहत संपत्ति को बेचने की अनुमति मांगता है। न्यायालय की अनुमति मिलने के बाद संपत्ति की नीलामी का प्रक्रिया शुरू होता है। इस प्रक्रिया में संपत्ति का मूल्यांकन किया जाता है और उसकी बाजार कीमत निर्धारित की जाती है। आमतौर पर नीलामी में संपत्ति की कीमत बाजार मूल्य से कम होती है क्योंकि खरीदार इसे एक जोखिम भरा निवेश मानते हैं।

नीलामी से जो राशि मिलती है उसमें से पहले बैंक का बकाया पैसा, ब्याज, विलंब शुल्क और कानूनी खर्च काटा जाता है। यदि कुछ राशि बच जाती है तो वह मूल मालिक को वापस कर दी जाती है। लेकिन अक्सर ऐसा होता है कि नीलामी से मिली राशि सारे खर्च चुकाने के लिए पर्याप्त नहीं होती और ग्राहक पर अभी भी कुछ राशि बकाया रह जाती है। इस स्थिति में बैंक ग्राहक से बकाया राशि की वसूली के लिए अन्य कानूनी उपाय अपना सकता है। यह पूरी प्रक्रिया ग्राहक के क्रेडिट रिकॉर्ड को भी बुरी तरह प्रभावित करती है जिससे भविष्य में लोन लेना मुश्किल हो जाता है।

समस्या का समाधान और बैंक से बातचीत

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यदि किसी व्यक्ति को अपनी होम लोन की EMI भरने में कठिनाई हो रही है तो सबसे पहले उसे अपने बैंक से संपर्क करना चाहिए। बैंक मैनेजर से खुली और ईमानदारी से अपनी वित्तीय स्थिति के बारे में बात करनी चाहिए। यदि ग्राहक के पास पहले का अच्छा क्रेडिट रिकॉर्ड है और उसने अन्य लोन का समय पर भुगतान किया है तो बैंक समाधान निकालने में मदद कर सकता है। कई बार बैंक लोन की शर्तों में संशोधन करके EMI की राशि कम करने या भुगतान की अवधि बढ़ाने पर सहमत हो जाता है।

ग्राहक अपनी किसी भी संपत्ति या निवेश को गिरवी रखकर भी राहत पा सकता है। यदि उसके पास कोई फिक्स्ड डिपॉजिट, शेयर, म्यूचुअल फंड या अन्य संपत्ति है तो बैंक इसे सिक्यूरिटी के रूप में लेकर लोन की शर्तों में छूट दे सकता है। लोन रीस्ट्रक्चरिंग एक और विकल्प है जिसमें बैंक मूल लोन की शर्तों को बदलकर ग्राहक की वर्तमान वित्तीय स्थिति के अनुकूल बना देता है। इसमें EMI की राशि कम करना, भुगतान की अवधि बढ़ाना या ब्याज दर में संशोधन करना शामिल हो सकता है।

वैकल्पिक समाधान और सुझाव

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EMI भुगतान की समस्या से निपटने के लिए कुछ रचनात्मक समाधान भी अपनाए जा सकते हैं। यदि ग्राहक का घर ऐसी जगह है जहां किराया अच्छा मिल सकता है तो वह अपने घर को किराए पर देकर मिलने वाली राशि से EMI का भुगतान कर सकता है। कई बार किराया EMI से अधिक भी होता है जिससे अतिरिक्त आय भी हो सकती है। यदि यह संभव नहीं है तो घर के एक हिस्से को किराए पर देना भी एक विकल्प हो सकता है। कुछ लोग अपने घर में पेइंग गेस्ट रखकर भी अतिरिक्त आय कमाते हैं।

यदि स्थिति बहुत गंभीर है और बैंक नीलामी की प्रक्रिया शुरू करने जा रहा है तो ग्राहक को स्वयं अपनी संपत्ति बेचने पर विचार करना चाहिए। खुले बाजार में संपत्ति बेचने से आमतौर पर नीलामी से अधिक कीमत मिलती है। इससे न केवल लोन की पूरी राशि चुकाई जा सकती है बल्कि कुछ पैसा बचाया भी जा सकता है। हालांकि इसके लिए बैंक की अनुमति लेना आवश्यक होता है। फ्लोटिंग ब्याज दर से परेशान होने वाले ग्राहक फिक्स्ड रेट में बदलने के लिए भी बैंक से बात कर सकते हैं। यह सब कुछ लोन रीस्ट्रक्चरिंग के दौरान किया जा सकता है।

Disclaimer

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यह जानकारी सामान्य शिक्षा के उद्देश्य से प्रदान की गई है। होम लोन के नियम और शर्तें अलग-अलग बैंकों में भिन्न हो सकती हैं। EMI चूकने की स्थिति में तुरंत अपने बैंक से संपर्क करें और उनकी विशिष्ट नीतियों के बारे में जानकारी लें। कानूनी सलाह के लिए योग्य वकील से सलाह लें।

Meera Sharma

Meera Sharma is a talented writer and editor at a top news portal, shining with her concise takes on government schemes, news, tech, and automobiles. Her engaging style and sharp insights make her a beloved voice in journalism.

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