RBI New Rule: आजकल डिजिटल भुगतान का जमाना है और लगभग हर व्यक्ति एटीएम, ऑनलाइन ट्रांसफर, यूपीआई और अन्य इलेक्ट्रॉनिक माध्यमों से पैसों का लेनदेन करता है। लेकिन कई बार ऐसा होता है कि ट्रांजेक्शन फेल हो जाता है और ग्राहक के खाते से पैसे कट जाते हैं लेकिन वह राशि मंजिल तक नहीं पहुंचती। यह एक बहुत ही आम समस्या है जिसका सामना लाखों लोग रोजाना करते हैं। कभी-कभी एटीएम से पैसे निकालते समय खाते से रकम कट जाती है लेकिन नकदी नहीं मिलती।
इस तरह की समस्याओं से ग्राहकों को बहुत परेशानी होती है क्योंकि उनके पैसे फंस जाते हैं और वापस आने में कई दिन लग जाते हैं। कई बार तो महीनों तक पैसे वापस नहीं आते और ग्राहकों को बैंक के चक्कर लगाने पड़ते हैं। इसी समस्या को देखते हुए भारतीय रिजर्व बैंक ने ग्राहकों के हितों की रक्षा के लिए कड़े नियम बनाए हैं।
आरबीआई का टीएटी हार्मोनाइजेशन नियम
भारतीय रिजर्व बैंक ने 20 सितंबर 2019 को एक महत्वपूर्ण सर्कुलर जारी किया था जिसमें फेल ट्रांजेक्शन के लिए टर्न अराउंड टाइम और मुआवजे के बारे में स्पष्ट निर्देश दिए गए थे। इस नियम के अनुसार बैंकों को तय समय सीमा के अंदर फेल हुए ट्रांजेक्शन की रकम ग्राहकों को वापस करनी होगी। यदि बैंक इस समय सीमा का पालन नहीं करते हैं तो उन्हें ग्राहकों को जुर्माना देना होगा। यह नियम ग्राहकों के अधिकारों की सुरक्षा करता है और बैंकों को अपनी सेवाओं में तेजी लाने के लिए प्रोत्साहित करता है।
इस नियम का मुख्य उद्देश्य यह है कि बैंक अपनी तकनीकी व्यवस्था को दुरुस्त रखें और ग्राहकों की समस्याओं का तुरंत समाधान करें। पहले ग्राहकों को अपने पैसे वापस पाने के लिए लंबा इंतजार करना पड़ता था और कई बार तो महीनों का समय लग जाता था। अब इस नियम के कारण बैंकों को जल्दी कार्रवाई करनी पड़ती है।
दैनिक 100 रुपए जुर्माने का नियम
आरबीआई के नए नियम के अनुसार यदि किसी फेल ट्रांजेक्शन में ग्राहक के खाते से पैसे कट जाते हैं और बैंक निर्धारित समय सीमा के भीतर उसे वापस नहीं करता है तो बैंक को प्रतिदिन 100 रुपए का जुर्माना देना होगा। यह जुर्माना तब तक चलता रहेगा जब तक कि ग्राहक को उसके पैसे वापस नहीं मिल जाते। यह व्यवस्था ग्राहकों के लिए बहुत फायदेमंद है क्योंकि अब बैंक जल्दी से जल्दी समस्या का समाधान करने की कोशिश करते हैं।
यह जुर्माना केवल उन्हीं मामलों में लागू होता है जहां ट्रांजेक्शन फेल होने का कारण ग्राहक के नियंत्रण में नहीं है। अगर ग्राहक की कोई गलती के कारण ट्रांजेक्शन फेल होता है तो यह नियम लागू नहीं होगा। ग्राहकों को अपने अधिकारों के बारे में जानकारी रखनी चाहिए ताकि वे जरूरत पड़ने पर बैंक से जुर्माना मांग सकें।
एटीएम ट्रांजेक्शन के लिए विशेष नियम
एटीएम से पैसे निकालते समय यदि आपके खाते से राशि कट जाती है लेकिन कैश नहीं मिलता है तो बैंक को ट्रांजेक्शन के दिन से पांच दिनों के भीतर इसे रिवर्स करना होगा। यदि बैंक इस समय सीमा का पालन नहीं करता है तो छठे दिन से प्रतिदिन 100 रुपए का जुर्माना लगेगा। यह नियम इसलिए बनाया गया है क्योंकि एटीएम ट्रांजेक्शन में तकनीकी जांच में थोड़ा अधिक समय लग सकता है।
एटीएम की तकनीकी व्यवस्था कभी-कभी खराब हो जाती है या नेटवर्क की समस्या के कारण ट्रांजेक्शन अधूरा रह जाता है। ऐसी स्थिति में ग्राहक को तुरंत बैंक को सूचित करना चाहिए और अपनी शिकायत दर्ज करानी चाहिए। बैंक को इसकी जांच करके पांच दिन के अंदर पैसे वापस करने होते हैं।
कार्ड टू कार्ड ट्रांसफर में समय सीमा
यदि आपने कार्ड टू कार्ड ट्रांसफर किया है और आपके खाते से पैसे कट गए हैं लेकिन लाभार्थी के खाते में नहीं पहुंचे हैं तो बैंक को दो दिन यानी टी प्लस वन के भीतर डेबिट को रिवर्स करना होगा। इसका मतलब है कि ट्रांजेक्शन के दिन और अगले दिन के भीतर पैसे वापस हो जाने चाहिए। यदि ऐसा नहीं होता है तो तीसरे दिन से प्रतिदिन 100 रुपए का जुर्माना लगेगा।
कार्ड टू कार्ड ट्रांसफर में आमतौर पर तुरंत पैसे ट्रांसफर हो जाते हैं लेकिन कभी-कभी तकनीकी खराबी के कारण समस्या आ जाती है। ऐसे में दो दिन का समय पर्याप्त माना गया है क्योंकि यह एक सीधा बैंक टू बैंक ट्रांसफर होता है। ग्राहकों को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि वे अपनी शिकायत समय पर दर्ज कराएं।
पीओएस और यूपीआई ट्रांजेक्शन के नियम
पॉइंट ऑफ सेल, कार्ड ट्रांजेक्शन, आईएमपीएस या यूपीआई के माध्यम से जब आपके खाते से पैसे कट जाएं लेकिन लाभार्थी के खाते में जमा न हों तो आरबीआई ने बैंकों को इसे टी प्लस वन दिन में ठीक करने का निर्देश दिया है। यानी ट्रांजेक्शन के अगले दिन तक समस्या का समाधान हो जाना चाहिए। यदि बैंक इस समय सीमा का पालन नहीं करते हैं तो टी प्लस वन दिन के बाद प्रत्येक दिन 100 रुपए का जुर्माना लगाया जाएगा।
आजकल यूपीआई और डिजिटल पेमेंट का सबसे अधिक उपयोग होता है इसलिए यह नियम बहुत महत्वपूर्ण है। यूपीआई ट्रांजेक्शन आमतौर पर तुरंत हो जाते हैं लेकिन कभी-कभी सर्वर की समस्या या नेटवर्क की दिक्कत के कारण देरी हो जाती है। ऐसे मामलों में एक दिन का समय उचित माना गया है।
ग्राहकों के लिए महत्वपूर्ण सुझाव
ग्राहकों को अपने अधिकारों के बारे में जानकारी रखनी चाहिए और फेल ट्रांजेक्शन की स्थिति में तुरंत बैंक को सूचित करना चाहिए। ट्रांजेक्शन की रसीद या स्क्रीनशॉट सुरक्षित रखना चाहिए क्योंकि यह सबूत का काम करता है। बैंक से बात करते समय ट्रांजेक्शन आईडी और समय की जानकारी तैयार रखनी चाहिए। यदि बैंक निर्धारित समय में पैसे वापस नहीं करता है तो ग्राहक जुर्माने की मांग कर सकते हैं।
शिकायत दर्ज कराने के लिए बैंक के कस्टमर केयर नंबर पर कॉल करना चाहिए या ब्रांच में जाकर लिखित शिकायत देनी चाहिए। यदि बैंक से संतोषजनक जवाब नहीं मिलता है तो आरबीआई के ओम्बुड्समैन से संपर्क किया जा सकता है।
आरबीआई के नए नियम ग्राहकों के हितों की रक्षा करते हैं और बैंकों को बेहतर सेवा देने के लिए प्रेरित करते हैं। फेल ट्रांजेक्शन की स्थिति में अब ग्राहकों को लंबा इंतजार नहीं करना पड़ता और उन्हें उचित मुआवजा भी मिलता है। हर ग्राहक को इन नियमों की जानकारी रखनी चाहिए ताकि जरूरत पड़ने पर वे अपने अधिकारों का उपयोग कर सकें। डिजिटल भुगतान की दुनिया में ये नियम ग्राहकों के लिए एक सुरक्षा कवच का काम करते हैं।
Disclaimer
यह लेख सामान्य जानकारी के उद्देश्य से लिखा गया है। बैंकिंग नियम समय-समय पर बदल सकते हैं। नवीनतम जानकारी के लिए अपने बैंक या आरबीआई की आधिकारिक वेबसाइट देखें।